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अब 10 लाख इनकम पर भी नहीं देना होगा 1 रुपये भी टैक्स!

आपने हमेशा सुना होगा कि 2 लाख 50 हजार रुपये से ज्‍यादा कमाने पर इनकम टैक्‍स भरना पड़ता है, लेकिन अब हम आपको एक ऐसा तरीका बताते हैं कि जिसमें आपको 10 लाख तक की इनकम पर भी कोई टैक्स नहीं देना होगा.  आज हम आपको इन नियमों के बारे में बता रहे हैं. इससे आप अपने टैक्‍स को आसानी से बचा सकेंगे.          ऐसे फार्मूले से नहीं लगेगा टैक्‍स   1. मान लीजिए कि आपकी सालाना इनकम 10 लाख 50 हजार रुपये है तो आप इनकम टैक्‍स एक्‍ट के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. इसके तहत आपको 50 हजार रुपये की छूट मिल जाएगी. अब टैक्‍सेबल इनकम 10 लाख रुपये बची. आइए जानते हैं इसे कैसे कम कर सकते हैं.  2.अब आप आयकर विभाग अधिनियम की धारा 80C के तहत 1 लाख 50 हजार रुपये का क्‍लेम कर सकते हैं. इसके तहत आप एलाईसी (LIC), पीपीएफ (PPF), बच्‍चों की ट्यूशन फी, म्‍यूचुअल फंड (ELSS) और ईपीएफ (EPF) में निवेश किए गए पैसों को क्‍लेम कर सकते हैं. इसके अलावा आप होम लोनके अमाउंट को भी क्लेम कर सकते हैं. अब आपकी टैक्‍सेबल इनकम 8 लाख 50 हजार रुपये रह जाती है.  3. आप नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में 50 हजार रुपये निवेश कर सकते हैं. इसके तहत

आयकर विभाग भेज रहा है नोटिस

दान, एलआईसी, रेंट एग्रीमेंट के मांग रहे सबूत:आयकर विभाग पूछ रहा- कौन है आपका सीए? इन्क्वायरी के नोटिस भेजना कर दिए शुरू इंदौर2 दिन पहले पिछले साल वेतनभोगी करदाताओं द्वारा आयकर में लिए रिफंड के मामलों में विभाग ने इन्क्वायरी के नोटिस भेजना शुरू कर दिए हैं। ज्यादातर नोटिस में करदाता द्वारा ली गई छूट के सबूत मांगे हैं, वहीं कुछ मामलों में करदाता के सीए, वकील या आयकर प्रोफेशनल का नाम, पता और नंबर भी मांगा जा रहा है। शहर के चार्टर्ड अकाउंटेंट अब क्लाइंट का रिटर्न भरने के साथ उनके द्वारा ली छूट के प्रमाण भी मांग रहे हैं। साथ ही इन्हें संभालकर रखना भी जरूरी हो गया है ऐसे में जरूरी है, क्लाइंट की सभी जानकारी मेल पर या अन्य किसी औपचारिक माध्यम पर रखी जाए, जिससे रिकॉर्ड मेंटेन करने में आसानी हो सके। संभवतः विभाग सीए के पास जाकर भी उसके द्वारा ली गई छूट का सत्यापन कर सकता है। इसके साथ ही मांगी जा रही अन्य महत्वपूर्ण जानकारी में रेंट संबंधी या होम लोन में भरे जा रहे ब्याज संबंधी प्रमाण शामिल हैं। कई करदाताओं द्वारा अपने आयकर में रेंट अलाउंस के नाम पर और होम लोन पर भरे जा रहे ब्याज की छूट ली जाती ह

वायरल मैसेज का करा सकते हैं फैक्ट चेक

वायरल मैसेज का करा सकते हैं फैक्ट चेक केंद्र सरकार की ओर से बताया गया है कि इस तरह की फेक खबरों से दूर रहे और इन खबरों को किसी के साथ भी शेयर न करें. अगर आप भी किसी वायरल मैसेज का सच जानना चाहते हैं तो 918799711259 इस मोबाइल नंबर या socialmedia@pib.gov.in पर मेल कर सकते हैं.  www.sinhagroup.net

इन 4 खर्चो को देखते ही भेज देगी नोटिस. टैक्स से ज़्यादा लग जाएगा जुर्माना

अगर आपके भी खाते में कुछ इस प्रकार के लेनदेन हुए हैं तो आपको ध्यान रखने की जरूरत है. बैंक के बचत खाते में 10 लाख से ज्यादा नकद या जमा, चालू खाते से 50 लाख से ज्यादा की निकासी या डिपॉजिट 10 लाख से ज्यादा की बैंक एफडी और क्रेडिट कार्ड से 1 लाख से ज्यादा का पेमेंट 10 लाख से ज्यादा म्यूचुअल फंड में निवेश, बॉन्ड, शेयर्स या डिबेंचर्स ट्रांजेक्शन क्रेडिट या करेंसी कार्ड से 10 लाख से ज्यादा विदेशी मुद्रा के लेनदेन पर अगर इन सारे बनाए गए पैरामीटर पर आपकी खामियां पाई जाती हैं तो इनकम टैक्स विभाग के तरफ से आपके ऊपर कभी भी नोटिस आ सकता है और साथ ही साथ नोटिस का सही उत्तर नहीं पाने पर कार्यवाही भी हो सकती हैं. www.sinhagroup.net

UPI से गलत खाते में चला जाये पैसे, तो ऐसे ले सकते है वापस

  रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा बनाया गया है प्रोसेस जल्दी बाजी में लोग कई बार गलत अकाउंट में पैसे यूपीआई के माध्यम से भेज देते हैं इसके लिए आरबीआई यानी भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा पूरा प्रोसेस बनाया गया है जिसका प्रयोग किया जा सकता है पैसे वापस लेने के लिए आप अपने बैंक से बातचीत कर सकते हैं। अपने यूपीआई ऐप से संपर्क करें- अगर आपने गलत यूपीआई पर पेमेंट कर दिया है तो सबसे पहले आपको अपने यूपीआई ऐप के हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके शिकायत दर्जा करवाना है चाहे आप फोनपे, गूगल पे या पेटीएम ऐप इस्तेमाल करते हैं  इन सभी ऐप्स के हेल्पलाइन नंबर दिए गए हैं और याद रहे कि उस गलत ट्रांजैक्शन का स्क्रीन शॉट जरूर देना है। BHIM App करें शिकायत शिकायत दर्ज कराने के बाद आपको भीम ऐप के टोल फ्री नंबर 1800- 120- 1740 कॉल करके शिकायत दर्ज करवाना है।रिपोर्ट के अनुसार आपको बता दे कि गलत लेनदेन के बारे में भीम एप पर पूछे गए सवाल के जवाब में उत्तर मिला कि भेजा जा चुका पैसा वापस नहीं आ सकता है। केवल वही व्यक्ति आपका पैसा वापस कर सकता है जिसके खाते में वह पैसा गया है। तो आपको बता दें ऐसी स्थिति में सबसे पहले आपको ब

31 जुलाई से पहले दाखिल किया है रिटर्न लेकिन अभी तक नहीं मिला रिफंड? ऐसे पता करें क्या है वजह

  अगर आपको अभी तक अपना आयकर रिफंड नहीं मिला है, तो जांच लें कि विभाग ने इसे प्रोसेस किया भी है या नहीं। एक व्यक्ति को आईटीआर प्रोसेस होने के बाद ही रिफंड मिलता है। आपके रिटर्न की कर विभाग द्वारा जांच की जाती है और अगर कर विभाग पुष्टि करता है कि आप आयकर रिटर्न को प्रोसेस करने के बाद धनवापसी के पात्र हैं, तभी आपको इनकम टैक्स का रिफंड मिलेगा। यदि आपका रिटर्न प्रोसेस हो गया है और रिफंड जारी किए जाने का मैसेज भी आ गया है, लेकिन अब तक पैसा नहीं मिला है तो आप धनवापसी की स्थिति की जांच कर लें। इसे एनएसडीएल की वेबसाइट पर चेक किया जा सकता है। एनएसडीएल वेबसाइट पर आयकर रिफंड की जांच कैसे करें वेबसाइट https://tin.tin.nsdl.com/oltas/refundstatuslogin.html पर जाएं। अपना पैन नंबर और और असेसमेंट ईयर दर्ज करें। कैप्चा दर्ज करें और 'सबमिट' पर क्लिक करें। इसके बाद आपको स्क्रीन पर एक संदेश दिख जाएगा, जिसमें आपके रिफंड की स्थिति का जिक्र होगा।इनकम टैक्स ई-फाइलिंग वेबसाइट पर कैसे चेक करें रिफंड यूजर आईडी और पासवर्ड का उपयोग करके आयकर ई-फाइलिंग पोर्टल पर अपने खाते में लॉग इन करें। 'ई-फाइल' विक

आयकर विभाग ने बदल दिए हैं ये नियम, फर्जीवाड़ा करने वालों की अब खैर नहीं

  आयकर विभाग ने शनिवार को कहा कि अपराध समझौते से जुड़े कई मानदंडों में ढील दी गई है। यह ढील खासतौर पर ऐसे मामलों में लागू होगी, जहां आवेदक को दो वर्ष तक कैद की सजा सुनाई गई है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर अधिनियम 1961 के तहत अपराध समझौता से जुड़ी नई गाइडलाइंस जारी की हैं। इसके अलावा आयकर अधिनियम की धारा-276 के तहत अपराध को समझौता योग्य बनाया गया है। किसी संपत्ति या ब्याज से जुड़े कर की वसूली के लिए संपत्ति को अटैच करने से रोकने के लिए यदि कोई करदाता धोखे से किसी व्यक्ति, किसी संपत्ति या उसमें कोई ब्याज हटाता, छुपाता, स्थानांतरित करता या वितरित करता है, तो उसके खिलाफ धारा 276 के तहत कार्यवाही शुरू की जा सकती है। समझौते के तहत अपना अपराध स्वीकार करने वाला व्यक्ति निश्चित राशि का भुगतान करके कानूनी कार्यवाही से बच सकता है। कंपाउंडिंग व्यक्ति को अपने अपराध को स्वीकार करने और अभियोजन से बचने के लिए एक निर्दिष्ट शुल्क का भुगतान करने की अनुमति देता है। कर विभाग ने उन मामलों में कंपाउंडिंग की अनुमति दी है जहां आवेदक को दो साल तक कैद की सजा सुनाई गई है। 16 सितंबर के संशोधित द