आयकर विभाग ने बदल दिए हैं ये नियम, फर्जीवाड़ा करने वालों की अब खैर नहीं

 आयकर विभाग ने शनिवार को कहा कि अपराध समझौते से जुड़े कई मानदंडों में ढील दी गई है। यह ढील खासतौर पर ऐसे मामलों में लागू होगी, जहां आवेदक को दो वर्ष तक कैद की सजा सुनाई गई है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर अधिनियम 1961 के तहत अपराध समझौता से जुड़ी नई गाइडलाइंस जारी की हैं।

इसके अलावा आयकर अधिनियम की धारा-276 के तहत अपराध को समझौता योग्य बनाया गया है। किसी संपत्ति या ब्याज से जुड़े कर की वसूली के लिए संपत्ति को अटैच करने से रोकने के लिए यदि कोई करदाता धोखे से किसी व्यक्ति, किसी संपत्ति या उसमें कोई ब्याज हटाता, छुपाता, स्थानांतरित करता या वितरित करता है, तो उसके खिलाफ धारा 276 के तहत कार्यवाही शुरू की जा सकती है।

समझौते के तहत अपना अपराध स्वीकार करने वाला व्यक्ति निश्चित राशि का भुगतान करके कानूनी कार्यवाही से बच सकता है।

कंपाउंडिंग व्यक्ति को अपने अपराध को स्वीकार करने और अभियोजन से बचने के लिए एक निर्दिष्ट शुल्क का भुगतान करने की अनुमति देता है। कर विभाग ने उन मामलों में कंपाउंडिंग की अनुमति दी है जहां आवेदक को दो साल तक कैद की सजा सुनाई गई है। 16 सितंबर के संशोधित दिशानिर्देशों के अनुसार, कंपाउंडिंग आवेदनों की स्वीकृति की समय सीमा को भी शिकायत दर्ज करने की तारीख से 24 महीने की पूर्व सीमा से बढ़ाकर 36 महीने कर दिया गया है।

इसके अलावा, अधिनियम के कई प्रावधानों में चूक को कवर करने वाले कंपाउंडिंग फीस के लिए विशिष्ट सीमा तय कर दी गई। 3 महीने तक 2 प्रतिशत प्रति माह और 3 महीने से अधिक 3 प्रतिशत प्रति माह के दंडात्मक ब्याज की प्रकृति में अतिरिक्त चक्रवृद्धि शुल्क को घटाकर क्रमशः 1 प्रतिशत और 2 प्रतिशत कर दिया गया है।

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