बैंक ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी

पूरी दुनिया में इस समय कोरोना वायरस से हाहाकार मचा हुआ है। कोरोनाग्रस्त इकॉनमी में कई लोगों के खाते खाली हो गए हैं, सारी बचत हवा हो गई है। वहीं दूसरी ओर इन विषम परिस्तिथियों में दोस्त-रिश्तेदारों से भी मदद नहीं मिल रही है। अगर आपके पास भी पैसे खत्म हो गए हैं तो परेशान न हों। इस बुरे समय में आप बैंक की ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी का प्रयोग कर सकते हैं। 

सरकारी और निजी बैंक ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी देते हैं. ज्यादातर बैंक करंट अकाउंट, सैलरी अकाउंट और फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर यह सुविधा देते हैं। कुछ बैंक शेयर, बॉन्ड और बीमा पॉलिसी जैसे एसेट के एवज में भी ओवरड्राफ्ट की सुविधा देते हैं। इस फैसिलिटी के तहत बैंक से आप अपनी जरूरत का पैसा ले सकते हैं और बाद में यह पैसा चुका सकते हैं।

ओवरड्राफ्ट दो तरह के होते हैं। एक सिक्योर्ड, दूसरे अनसिक्योर्ड। सिक्योर्ड ओवरड्राफ्ट वह है, जिसके लिए सिक्योरिटी के तौर पर कुछ गिरवी रखा जाता है। आप एफडी, शेयर्स, घर, सैलरी, इंश्योरेंस पॉलिसी, बॉन्ड्स आदि जैसे चीजों पर ओवरड्राफ्ट हासिल कर सकते हैं। इसे आसान भाषा में एफडी या शेयर्स पर लोन लेना भी कहते हैं। ऐसा करने पर ये चीजें एक तरह से बैंक या NBFCs के पास गिरवी रहती हैं।

अगर आपके पास कुछ भी सिक्योरिटी के तौर पर देने के लिए नहीं है तो भी आप ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी ले सकते हैं। इसे अनसिक्योर्ड ओवरड्राफ्ट कहते हैं। उदाहरण के तौर पर क्रेडिट कार्ड से विदड्रॉल।

बैंक यह तय करते हैं कि ओवरड्राफ्ट के तहत आप कितना पैसा ले सकते हैं। यह लिमिट इस बात पर निर्भर करती है कि इस फैसिलिटी के लिए आपने बैंक में गिरवी (कोलैटरल) क्या रखा है। सैलरी और एफडी के मामले में बैंक लिमिट ज्यादा रखते हैं।

ग्राहकों की अकाउंट हिस्ट्री व अकाउंट वैल्यू के आधार पर ओवरड्राफ्ट दिया जाता है। साथ ही क्रेडिट व्यवहार कैसा है इन सब बातों को भी देखा जाता है।

क्रेडिट कार्ड या दूसरे पर्सनल लोन के मामले में यह काफी सस्ता है। इसमें आपको अपेक्षाकृत कम ब्याज देना पड़ता है। दूसरा फायदा यह है कि ओवरड्राफ्ट में आप जितने समय के लिए पैसा लेते हैं, उतने समय के लिए ही आपको ब्याज देना पड़ता है।

M K Sinha

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