बैंक ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी
ओवरड्राफ्ट दो तरह के होते हैं। एक सिक्योर्ड, दूसरे अनसिक्योर्ड। सिक्योर्ड ओवरड्राफ्ट वह है, जिसके लिए सिक्योरिटी के तौर पर कुछ गिरवी रखा जाता है। आप एफडी, शेयर्स, घर, सैलरी, इंश्योरेंस पॉलिसी, बॉन्ड्स आदि जैसे चीजों पर ओवरड्राफ्ट हासिल कर सकते हैं। इसे आसान भाषा में एफडी या शेयर्स पर लोन लेना भी कहते हैं। ऐसा करने पर ये चीजें एक तरह से बैंक या NBFCs के पास गिरवी रहती हैं।
अगर आपके पास कुछ भी सिक्योरिटी के तौर पर देने के लिए नहीं है तो भी आप ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी ले सकते हैं। इसे अनसिक्योर्ड ओवरड्राफ्ट कहते हैं। उदाहरण के तौर पर क्रेडिट कार्ड से विदड्रॉल।
बैंक यह तय करते हैं कि ओवरड्राफ्ट के तहत आप कितना पैसा ले सकते हैं। यह लिमिट इस बात पर निर्भर करती है कि इस फैसिलिटी के लिए आपने बैंक में गिरवी (कोलैटरल) क्या रखा है। सैलरी और एफडी के मामले में बैंक लिमिट ज्यादा रखते हैं।
ग्राहकों की अकाउंट हिस्ट्री व अकाउंट वैल्यू के आधार पर ओवरड्राफ्ट दिया जाता है। साथ ही क्रेडिट व्यवहार कैसा है इन सब बातों को भी देखा जाता है।
क्रेडिट कार्ड या दूसरे पर्सनल लोन के मामले में यह काफी सस्ता है। इसमें आपको अपेक्षाकृत कम ब्याज देना पड़ता है। दूसरा फायदा यह है कि ओवरड्राफ्ट में आप जितने समय के लिए पैसा लेते हैं, उतने समय के लिए ही आपको ब्याज देना पड़ता है।
M K Sinha
Mob.9891309810
taxcon@outlook.comw
ww.sinhagroup.net
Comments
Post a Comment