मुझे क्या लेना है
मुझे क्या लेना है
इश्क से अपने
इश्क से भी भला
कुछ लिया जाता है
इश्क पलता है दिल में
बेटी की तरह
वफा की डोली में इसे
बिदा कर दिया जाता है
तंगदिली नहीं यह जिंदादिली है
कि उम्मीद ना करो
इश्क से कोई
बेटी के घर का भी तो पानी तक
नहीं पिया जाता है
एतबार की जख्मों से
कुर्बानी के रिवाजों तक
ता जिंदगी
बेटी की तरह इश्क में हर बार
सौगात में शगुन में
कुछ दिया जाता है
इससे भी भला "साजन"
कुछ लिया जाता है
Comments
Post a Comment