अब मैं राशन की कतारों में नजर आता हूं

अब मैं राशन की कतारों में नजर आता हूं 
अपने खेतों से बिछड़ने की सजा पाता हूं 
इतनी महंगाई कि बजारों से कुछ लाता हूं 
अपनों में बाटकर उसे शर्मता हूं 
अपनी नींदों का लहू पहुंचने की कोशिश में 
जगते जगते थक जाता हूं सो जाता हूं 
कोई चादर समझ कर खींच ना ले फिर से "साजन" 
मैं कफन ओढ़ कर फुटपाथ पर सो जाता हूं

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