मेरी सोच चलती है उस ओर जिधर तुम हो

मेरी सोच चलती है उस ओर जिधर तुम हो 
मेरी नजर उठती है उस ओर जिधर तुम हो 
तुम्हारी याद आते ही मेरी सांसे चौकनी सी बन जाती है 
मैं जिधर देखूं तुम ही तुम हो 
ये आसमान ये धरती ये पेड़ और इनकी पत्तियां सारे हरित परिवेश में 
मेरी हर सोच में तुम ही तुम हो आंखे बंद हो या खुली 
तेरा चेहरा रहता है हर पल मेरी आंखों में "साजन" 
तुम भी तो बांट लो क्यों चुप हो

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