जब तेरे दर से जाता हूं

जब तेरे दर से जाता हूं 
तुझे गुमशुदा साफ आता हूं 
ना जाने क्या सोचकर 
कुछ सपने सजाता हूं 
रोज ख्वाबों में तुम आती हो 
आकर मुझे सताती हो 
मुझे अकेला देखकर 
ना जाने क्या गुनगुनाती हो 
इशारों से मैं बताता हूं 
मैं भी कुछ गाता हूं 
लेकिन तुझे क्या खबर है "साजन"
क्यों तेरे दर से जाता हूं

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