दर्द के सेहरे में कुछ इस तरह

दर्द के सेहरे में कुछ इस तरह 
सिमटती गई जिंदगी 
हाथों से रेत की तरह 
फिसलती गई जिंदगी 
यूं तो कोशिशें हमने भी की थी 
कुछ मोती हाथ लगे 
मगर 
पत्थरों से पहचान कराती गई जिंदगी 
कुछ सपने हमें ले आए शहर की ओर 
हकीकतो के भंवर में डुबो दी गई जिंदगी 
चाहकर भी लौट ना सके हम 
मजबूरियों में जकड़ती गई जिंदगी 
अब तो बस आस में तैरते चले जाते हैं "साजन"
 देखे किस मुकाम पर ले जाती है जिंदगी

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